Tuesday, March 23, 2010

"""CONVENT-MARRIGE"""



सारे घर में खुशियों का माहौल छाया था,

छः वर्षीय गुडिया की शादी का दिवस आया था,

सात वर्षीय दूल्हा जी घोड़ी पर चढ़कर आये,

पीछे-पीछे बारातियों का कारवां भी लाये,

पंच-पटेल और सरपंच जी भी आये,

साथ में सफेदपोश विधायक जी को भी लाये,

खबर पाकर बाल-विवाह की थानेदारजी भी आये,

साथ में जीप में चार सिपाही भी लाये,

थानेदार जी आते ही रौब जमाने लगे,

सर सुनकर गाड़ी से विधायक जी भी आने लगे,

देखके थानेदार को विधायक जी ताव में आये,

बोले रंग में भंग डालने तुम यहाँ क्यों आये,

उतनी सुनकर नेताजी की थानेदार जी सटक गए,

जाते-जाते एक-एक गिलास लस्सी भी गटक गए,

शासन और प्रशासन वतन की जान है,

आजकल ऐसे ही फ़र्ज़ निभाना इनकी शान है,

जब मंडप पर पंडित जी संकल्प दिलाने लगे,

बाल वर-वधु को नीद के झोंके आने लगे,

गोद में लेकर परिजन उनके फेरे लगवा रहे थे,

विवाह-संस्कार को पूरा जो करवा रहे थे,

दुल्हे की माताजी फूली ना समाई थी,

उसके आंगने में दुल्हन जो आई थी,

धीरे-धीरे वर पर कुसंगति का ज्वर चंड गया,

इक्कीश की उम्र तक वह गुंडा जो बन गया,

गुडिया थी वो अब अध्यापिका जो बन गई,

धीरे-धीरे वर के कर्मो की कलई भी खुल गई.

इस दंपत्ति का जीवन ऐसा उलझा था,

विवाद `तलाक़` पर जाकर सुलझा था,

बाल विवाह पर रोक लगानी होगी,

समाज में यहाँ जागरूकता फैलानी होगी,

इन कुरीतियों को समाज से समूल मिटाने को,

“”SOM”” बदलनी होगी सोच नया सवेरा लाने को

WRITER-:SOMVEER-KHATANA-GURJAR(B.C.A.2ND YEAR)

(EFFORT SHOULD BE DONE BY US FOR PREVENT CONVENT MARRIGE BEACOUSE IT IS SOCIAL EVIL)

"""EVENING"




तरनी का तेज मद्धिम पड़ता जा रहा है,
शने-शने यह रक्तवर्ण होता जा रहा है.

चहुँ दिशी लालिमा छाये जा रही है,
अवनी पर सांझ की बेला आ रही है,

धेनु भी कानन से भागती आ रही है,
मनो ग्वालों को निज निकेत ला रही है,
अस्वत्थ तरु में बने हैं कोटर और नीद,
विहंगो की डालियों पर लगी है भीड़,

विहंग व्योम में भी उड़े जा रहे हैं,
निज शावकों हेतू दाना वो ला रहें हैं,


सरोवर सलिल भी रक्तवर्ण हो आया है,
मानो वारि-मुकुर में रवि आनन् देखने आया है,

नाविक निज नौका को कगार पर ला रहा है,
जलोर्मी की आभा देख मोंद-गान गा रहा है,

साराश की अठखेलियों का दृश्य ही न्यारा है,
सांझ का ये मंज़र देखो ये कितना प्यारा है,



दिवाकर छातिज में मगन्हो गया है,
शनै-शनै तिमिर भी सघन हो गया है,

पुरवाई पवन शीतलता PILAAYE जा रही है,
देवालयों से संख की धुन भी आ रही है,

शशि सितारों सह शून्य में आया है,
रजनी में “”SOM”” सोम सुधा बरसाने आया है.







WRITER-SOMVEER-KHATANA-B.C.A(2ND YEAR) MO-9549400943
"I LIKE NETURAL BEAUTY OF EVENING"



Sunday, March 21, 2010

khatana


हे वीरो ! तुम अब जागो .
अवसर निकल न जाये तुम भागो,
मंजिल अपनी यह नहीं पुरानी है,
जल्दी से वीरो हमको पानी है,
समय आ गया है अब अपना,
देखेंगे हम सब अब स्वर्णिम सपना,
शिक्षा की रश्मि से अब नया सवेरा लाना है,
राह में आये काँटों पर चलके दिखाना है,
जीत जहाँ से जायेंगे हम थोडा और कौशल दिखाना है,
"SOM"सजग हो जाओ अभी ये जज्बा नहीं पुराना है.

WRITER-SOMVEER-KHATANA-B.C.A

Tuesday, March 16, 2010

""""""""JAI-JAGDISH-HARE"""""""""





"YOU ARE INVITED BY :-SOMVEER KHATANA
IN THIS SECARD TOWN OF LORD JAGDISH " JAGANAAATH-DHAM-KEIMARI" TAH-NADOTI,DIST-KAROLI (RAJASTHAN) INDIA


VISIT THIS SECARD PLACE AND FEEL THE PEACE IN THE COURTIAR OF LORD JAGDISH AT FOLLOWING OPPORCHUNITY.-<

"Apple-style-span" style="font-size: x-large;">
0N EVERY AMAYASYA
AND BASANT-PANCHAMI
AND AASADH-PANCHAMI

AT THESE OPPORCHUNITY A LARGE FAIR IS ORGANISED AT THIS PLACE.






WRITER-Mr.SOMVEER-SINGH-GURJAR-KHATANA(B.C.A)


(STATE-SCERETARY-RAJASTHAN YOUTH GURJAR FEDRATION)





<>
PARMANENT ADDRESS-
VILLEGE-KEIMARI
POST-KEIMARI
PIN-CODE-322216
TAH-NADOTI .DIST-KAROLI

MO-9983850943 /9549400943,9636514564,9468730649

E-MAIL ID-REDIFFMAIL-SOMVEER.KHATANA@REDIFFMAIL.COM

ORCUT-somkhatana@gmail.com
YAHOO-
som_khatana@yahOO.com
ORGANATION-:
DEEPSHIKHA-COLLEGE OF TECHNICAL EDUCATION WHITE BUILDING SECTOR NO-31
VARUN PATH MANSAROVAR(JAIPUR)
INDIA
मानव हूँ मै अरमान लिए जिए जा रहा हूँ,
मंजिल दूर है फिर भी दस्तक दिए जा रहा हूँ,
पुष्पों पर सहजता से चल जाता हूँ,
पर मनुज हूँ सूलों में भी मार्ग बनता हूँ,
शूलो में ही गुलाब खिला करते हैं,
ये सूल ही इनकी हिफाज़त किया करते हैं,
पथ में घोर तिमिर छाया हुआ है,
साथ में तूफ़ान भी आया हुआ है,
ये झन्झा भी मुघे भटकाएगी,
धीरज भी मेरा आजमाएगी,
वहा वक़्त भी मेरा आया है,
पथ प्रस्तर भी टकराया है,
मानव हूँ ना डरूंगा में,
गिरकर उठकर भी लडूंगा मै,
मै हार नहीं यूं मानूंगा,
तूफ़ान से भी सीना तनुंगा,
कभी ये तूफ़ान भी पड़ेगा मद्धिम,
मेरी मंजिल भी आएगी स्वर्णिम,
में यूं ही लड़ता जाऊँगा ,
ना अपनी पीठ दिखाऊंगा,
अनवरत करूंगा में युद्ध यहीं,
मरना मन्जूर पर हटना नहीं,
मुघसे लड़ते-लड़ते ये बाधा भी घबराएगी,
"SOM" पूर्ण यकीं है मुझको मंजिल की दहलीज़ तो आएगी
(मेरा एक छोटा सा प्रयास)
WRITER-SOMVEER-KHATANA(B.C.A)
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FULL-FORM OF "KHATANA" GOTRA OF GURJAR COMMUNITY




K-KNOWLEDGE`S
H-HONOURS
A-AMAIN`S
T-TELENT`S
A-ADEP`S
N-NIMBLE`S
A-ABSTRACTION


SO WE HAVE PROUD TO BE "KHATANA"

WRITER-SOMVEER-KHATANA(B.C.A)
MO-9549400943

""""come on friends be aware,
now you are hiding where,
open your house`s gate,
otherwise you will be late,
neither here you are alone,
nor your chance had gone,
i belive you will win the race,
due to your rapidly pace,
you are nation`s dream,
dont lose with life`s stream
writer-somveer khatana keimari bca(state secretary y.g.f)
mo-9549400943
"हे तरुण निज कलम उठाओ,शिक्षा की तुम अलख जगाओ,

.एकलव्य से शिष्य बनाने हैं,शिक्षा के दीप जलने हैं,
लहरों में तूफ़ान उठा यहाँ बात नहीं अनजानी है,
मांझी निज नैया पार तुम्हे ही लगाने है,
मांझी निज पतवार घुमाओ, हे तरुण...........................

.ले लेखनी कर उठा ले तू अपना,
शिक्षा से ही संवारंगा सपना,
मंजिल है ये पुकार रही,
सोवत न रहा जाना कहीं,
.रवि की इक रश्मि तुम लाओ,हे तरुण.................

.बिन शिक्षा फल रह जायेगा कच्चा,
ज्ञान दीप जलेगा ना वहां सच्चा,
भास्वर मयूख सहा आएगा,
अगानता का तिमार घटाएगा,
शिक्षा की वैजायती पहनाओ,हे तरुण...................

.शूल भी सुमन बन जायेगा,
जब तू अपना कदम बढ़ाएगा,
दरिद्रता दस्तक ना दे पायेगी,
जब घडी सृजन की आएगी,
मुनासिब तुम अरमान जगाओ,हे तरुण...............

.रंगमंच का नायक तू ही कहलायेगा,
यदि अवनी से ये तिमिर घटाएगा,
दीपशिखा की लों बढ़नी होगी,
भागीरथ बन भागीरथी लानी होगी,
बंजर में भी तरु लहरों,हे तरुण...............

.कानन कुशुम का देख ये मंजर,
क्रांति होगी बिन ही खंज़र,
शिक्षा की शीतल मलयज जब आएगी,
शून्य में रास्ट्र-ध्वज तिरंगा LAHARAYEGI,
शिक्षा का PAARAS "SOM"तुम लाओ.हे तरुण NIJ KALAM UTHAO.....


WRITER-SOMVEER-KHATANA GURJAR B.C.A 2ND YEAR

MY POEMS

हे वीरो अब जाग भी जाओ,अब सोने का समय नहीं,
1 सरहद पार अरिदल भी नापाक इरादे बना रहा,
रोकेट दागकर भारत भू पर निज मौत अभी वो बुला रहा,
चीन नहीं अब पीछे है वह भी अब गुर्राता है,
आकर सरहद पर वह सन ६२ सी गलती दोहराता है,
चिंगारी जो उठी सरहद पर शोला ना बन जाये कहीं,
हे वीरो अब जाग.............
२ कश्मीर धरा पर आतंकी हँ गंदे पैर लगा रहे,
बारूदों से अमन चैन पर नफरत हैं वो जगा रहे,
उपमहादीप के केसर उपवन की रक्षा तुझको ही करनी होगी,
गीदड़ सम शैतानो की हिम्मत भी तेरे आगे क्या होगी,
हे रवि तेरी रश्मि की आभा कहीं रुकेगी नहीं,
हे वीरो अब ..............
३ निज मसलो पर लड़ते-लड़ते ना कोई संकट आ जाये,
पथिक नहीं कही निज पथ से तुझको ये मंजर भटका जाये,
जयचंदों का सर तो दीवारों में चुनवाना होगा,
ध्वज-रास्ट्र तिरंगे को नभ में नव जज्बे से लहराना होगा,
निज वसुधा है ललकार रही सोवत न रहा जाना कहीं,
हे वीरो अब .............
४ निज क्लेश की इस झंझा में ना कोई संकट आ जाये ,
पथिक नहीं कही निज पथ से तुझको ये मंजर भटका जाए,
नव इतिहास बनाना है अब हमको स्वर्णिम,
ये जज्बा ना पड़ जाये अब मद्धिम,
चाहे जितना तेज हो तूफ़ान हमको है घबराना नहीं.
हे वीरो अब .............
५ लगता है अरिदल भी तेरा करतब भी आजमाएगा,
लड़ने से पहले ही वहा अपनी पीठ दिखायेगा,
भारत भू रहेगी अमृत घट विस कभी ना तुम भरने देना,
मानव मन है दिव्या कमल पासाण ना तुम बनने देना,
वह वक़्त नहीं अब दूर SOM तू कौशल दिखलायेगा यहीं,
हे वीरो अब जाग भी जाओ अब सोने का समय नहीं,
जय हिन्द