Tuesday, March 16, 2010

MY POEMS

हे वीरो अब जाग भी जाओ,अब सोने का समय नहीं,
1 सरहद पार अरिदल भी नापाक इरादे बना रहा,
रोकेट दागकर भारत भू पर निज मौत अभी वो बुला रहा,
चीन नहीं अब पीछे है वह भी अब गुर्राता है,
आकर सरहद पर वह सन ६२ सी गलती दोहराता है,
चिंगारी जो उठी सरहद पर शोला ना बन जाये कहीं,
हे वीरो अब जाग.............
२ कश्मीर धरा पर आतंकी हँ गंदे पैर लगा रहे,
बारूदों से अमन चैन पर नफरत हैं वो जगा रहे,
उपमहादीप के केसर उपवन की रक्षा तुझको ही करनी होगी,
गीदड़ सम शैतानो की हिम्मत भी तेरे आगे क्या होगी,
हे रवि तेरी रश्मि की आभा कहीं रुकेगी नहीं,
हे वीरो अब ..............
३ निज मसलो पर लड़ते-लड़ते ना कोई संकट आ जाये,
पथिक नहीं कही निज पथ से तुझको ये मंजर भटका जाये,
जयचंदों का सर तो दीवारों में चुनवाना होगा,
ध्वज-रास्ट्र तिरंगे को नभ में नव जज्बे से लहराना होगा,
निज वसुधा है ललकार रही सोवत न रहा जाना कहीं,
हे वीरो अब .............
४ निज क्लेश की इस झंझा में ना कोई संकट आ जाये ,
पथिक नहीं कही निज पथ से तुझको ये मंजर भटका जाए,
नव इतिहास बनाना है अब हमको स्वर्णिम,
ये जज्बा ना पड़ जाये अब मद्धिम,
चाहे जितना तेज हो तूफ़ान हमको है घबराना नहीं.
हे वीरो अब .............
५ लगता है अरिदल भी तेरा करतब भी आजमाएगा,
लड़ने से पहले ही वहा अपनी पीठ दिखायेगा,
भारत भू रहेगी अमृत घट विस कभी ना तुम भरने देना,
मानव मन है दिव्या कमल पासाण ना तुम बनने देना,
वह वक़्त नहीं अब दूर SOM तू कौशल दिखलायेगा यहीं,
हे वीरो अब जाग भी जाओ अब सोने का समय नहीं,
जय हिन्द

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