"हे तरुण निज कलम उठाओ,शिक्षा की तुम अलख जगाओ,
.एकलव्य से शिष्य बनाने हैं,शिक्षा के दीप जलने हैं,
लहरों में तूफ़ान उठा यहाँ बात नहीं अनजानी है,
मांझी निज नैया पार तुम्हे ही लगाने है,
मांझी निज पतवार घुमाओ, हे तरुण...........................
.ले लेखनी कर उठा ले तू अपना,
शिक्षा से ही संवारंगा सपना,
मंजिल है ये पुकार रही,
सोवत न रहा जाना कहीं,
.रवि की इक रश्मि तुम लाओ,हे तरुण.................
.बिन शिक्षा फल रह जायेगा कच्चा,
ज्ञान दीप जलेगा ना वहां सच्चा,
भास्वर मयूख सहा आएगा,
अगानता का तिमार घटाएगा,
शिक्षा की वैजायती पहनाओ,हे तरुण...................
.शूल भी सुमन बन जायेगा,
जब तू अपना कदम बढ़ाएगा,
दरिद्रता दस्तक ना दे पायेगी,
जब घडी सृजन की आएगी,
मुनासिब तुम अरमान जगाओ,हे तरुण...............
.रंगमंच का नायक तू ही कहलायेगा,
यदि अवनी से ये तिमिर घटाएगा,
दीपशिखा की लों बढ़नी होगी,
भागीरथ बन भागीरथी लानी होगी,
बंजर में भी तरु लहरों,हे तरुण...............
.कानन कुशुम का देख ये मंजर,
क्रांति होगी बिन ही खंज़र,
शिक्षा की शीतल मलयज जब आएगी,
शून्य में रास्ट्र-ध्वज तिरंगा LAHARAYEGI,
शिक्षा का PAARAS "SOM"तुम लाओ.हे तरुण NIJ KALAM UTHAO.....
WRITER-SOMVEER-KHATANA GURJAR B.C.A 2ND YEAR
Tuesday, March 16, 2010
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